संग्राम ने घर में किसी को बताया नहीं था कि वो छुट्टी पर घर आयेगा। सरप्राइज देने की आदत तो हमेशा सें रही ही थी उसकी। कभी भी कुछ भी अचानक ही कर देता था। उसकी गाड़ी अभी श्रीनगर एयरपोर्ट के बाहर पहुंची ही थी कि उसका फ़ोन बजने लगा। कॉलर आईडी देखी और सामने जो नाम देखा उसको देखकर संग्राम कुछ पल के लिए चलते हुए रुक सा गया। कुछ देर तक स्क्रीन पर देखते रहने के बाद उसने कॉल पिक की।
फोन करने वाला उसका एक जूनियर था - आशुतोष यादव जो ऑपरेशन बवंडर में शामिल दो टीमों में से दूसरी टीम का लीडर था। उस वक़्त वो कैप्टेन था। अब मेजर रैंक का अफसर बन चुका था।

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