28 मार्च, 2014
सूरतगढ़ एयरफोर्स बेस, राजस्थान
दोपहर के 3 बजे का वक़्त....
एक फाइटर पायलट वर्दी पहनकर अपनी सॉर्टी (एक तरह की प्रैक्टिस मिशन फ्लाइट) के लिए तैयार हो रहा था। उसके सामने एक छोटे से साइड टेबल पर एक फ़ोन, स्टैंड पर रखा हुआ था जिस पर वीडियो कॉल चल रही थी।
"विक्रम!" वीडियो कॉल पर एक लड़की लगभग रोते हुए बोली।
"बेबी सब ठीक तो है एंड इट्स नॉट देट सीरियस! मुझे तो एक भी रेड मार्क तुम्हारे चेहरे पर नहीं दिख रहा। यू आर लुकिंग सो हैंडसम, एज़ ऑलवेज!"
"यार तुम्हें अब भी मज़ाक सूझ रहा है! क्या हैंडसम? क्या है....सारी स्किन खराब हो गयी जस्ट बिकॉज़ ऑफ़ दिस स्टुपिड स्किन ट्रीटमेंट। मेरा दिमाग़ खराब था जो सगाई के हफ्ता पहले मैंने ये स्टुपिड सा स्किन ट्रीटमेंट करवाया! आई हैव डिस्ट्रॉयड माय स्किन" वो लड़की अपनी आँखें साफ करती हुई बोली।उसका चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया था।
"संयुक्ता बेबी प्लीज्! तुम्हें पता तो है कि तुम मुझे हर हाल में पसंद हो। जैसी भी दिखो इंगेजमेंट में कोई फर्क नहीं पड़ता"
"यार लेकिन मुझे तो पड़ेगा ना...!"
"ओके लेट्स डू वन थिंग, तुम ना इंगेजमेंट वाले दिन मेरे मुंह पर भी ऐसे रेड मार्क्स बना देना। खुश?"
"मतलब रेड मार्क्स दिख रहें हैं ना? झूठ बोला ना तुमने विक?!" संयुक्ता गुस्से में बोली।
"अरे मैंने कहाँ झूठ बोला! मुझे सच में नहीं दिख रहे, मै तो बस इतना बोल रहा हूँ वुड बी मिसेज़ विक्रम सिंह सांगेर कि आपको जो भी करने में ख़ुशी मिले वो आप कर सकती हैं, फिर चाहे आप मेरी शक्ल बिगाड़ दें, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं" विक्रम ने बहुत प्यार से बोला और आँखों पर एविएटर्स चढ़ा लिए।
संयुक्ता भी अब थोड़ा मुस्कुराने लगी थी। फिर उसे कुछ याद आया।
"संग्राम भाई भी आ रहें हैं ना इंगेजमेंट पर? मेरी एक फ़्रेंड है, डॉक्टर है। आई थिंक दे विल लुक लवली टुगेदर। भाई को उससे मिलवाना ही है इंगेजमेंट पर किसी भी हालत में! "
"हमारे बड़े भाईसाहब की शादी आलरेडी अपने देश की आर्मी से हो चुकी है। डेटिंग वेटिंग के चक्कर में हमारे नये नवेले मेजर साहब नहीं पड़ेंगे। वो तो मुंह भी खोलते हैं तो गोला बारूद ही निकलता है, क्यूँ बेचारी अपनी दोस्त की जान की दुश्मन बनी हुई हो" बोलकर विक्रम हंसने लगा।
"तुम बस ये बताओ वो आएंगे कि नहीं बाकी मैं देख लूंगी"
"नहीं इंगेजमेंट पर नहीं आ पाएंगे क्यूंकि फिलहाल छुट्टी नहीं है लेकिन वादा किया है उन्होंने कि शादी पर आएंगे"
"ओके नो प्रॉब्लम। मैं शादी में मिलवाऊंगी अपनी फ़्रेंड से"
"ठीक है भाई अपनी शादी वाले दिन ही क्यूपिड का रोल प्ले करना और मिलवा देना दो दिलों को" विक्रम ने बहुत नाटकीय अंदाज़ में बोला।
संयुक्ता मुंह बनाकर हंसने लगी।
"ओके आई विल टॉक टू यू लेटर, अभी अपनी लैला से मिलने जाना है। विल कॉल यू आफ्टर सॉर्टी" वो हँसते हुआ बोला।
"ओके। और कुछ नहीं बोलना था आपको मिस्टर फ्लाइट लेफ्टिनेंट?"
"उम्म्म.... क्या बोलना था? याद नहीं आ रहा"
"अभी तो शादी भी नहीं हुई और तुम्हारा ये हाल है"
"आई लव यू एंड आई कांट वेट टू सी यू" विक्रम बोला तो संयुक्ता मुस्कुराने लगी।
"ओके बाय हैंडसम, लैला वेट कर रही है" विक्रम चिढ़ाता हुआ बोला तो संयुक्ता ने हँसते हुए बाय बोल दिया।
"लैंडिंग के बाद कॉल करना" संयुक्ता वीडियो कॉल बंद करने से पहले मुस्कुराते हुए बोली।
कुछ देर बाद वो अपने मिग - 21 फाइटर विमान के सामने खड़ा उसे निहार रहा था।
"अपनी लैला को चेक आउट कर लिया हो तो चलें?" उसके पीछे से एक और फाइटर पायलट वहां आया। उसके चेहरे पर भी एवीएटर्स थे और हाथ में फ्लाइट हेलमेट जिसपर उसका भी कॉल नेम लिखा हुआ था "एरो"
"ये डॉगफाइट हारने वाले हो तुम, अधिराज!" विक्रम बोला।
(डॉगफाइट का मतलब जब दो फाइटर विमान आसमान में एक दूसरे को गिराने के लिए लड़ते हैं। प्रैक्टिस के दौरान इसे फ्रेंडली डॉगफाइट का नाम दिया जाता है जहाँ सारी लड़ाई इलेक्ट्रॉनिक तरीके से की जाती है)
"लगी शर्त? इस बार तुम हारोगे"
"लगी शर्त"
"जो हारेगा वो ऑफिसर्स मैस में सबको एंटरटेन करेगा लेकिन एंटरटेन कैसे करना है वो उसी वक़्त पता चलेगा उस लूज़र को" अधिराज तिरछी सी मुस्कुराहट लिए बोला।
"सीरियसली?!"
"लगाओ शर्त"
"डन! तुम प्रैक्टिस करना शुरू कर दो। हम सांगेरी कभी नहीं हारते"
"हम शेरगिल भी कभी नहीं हारते!"
"वी विल सी"
"या या वी विल सी"
कुछ ही देर में दोनों के मिग विमान गरजना करते हुए हवा से बातें कर रहे थे और बेस से काफी दूर आ चुके थे लेकिन बेस के ग्राउंड कण्ट्रोल सेंटर से सम्पर्क में थे। दोनों ही हवा में एक दूसरे को टक्कर देने में लगे हुए थे ताकि एक दूसरे पर निशाना लॉक कर पाए। जो निशाना लॉक कर पाए वो विजेता!
"ईगल, यू आर एप्रोचिंग इंटरनेशनल बॉर्डर, स्टे बैक" बेस के ग्राउंड कण्ट्रोल रूम से एक महिला अफसर की आवाज़ विक्रम को अपने रेडियो पर सुनाई दी। उन दोनों की प्रैक्टिस में रेडियो मैसेज की वजह से रुकावट पैदा हो गयी थी।
"जो हुकुम मेरे आका!" विक्रम ने बोलकर अपने मिग की दिशा बदली। इसके साथ ही उसे दूसरे मिग पर सवार अधिराज के हंसने की आवाज़ अपने रेडियो पर सुनाई दी।
"एरो, ज़्यादा मत हंसो वरना दाँत यहीं रह जायेंगे हवा में" विक्रम उसे छेड़ता हुआ बोला।
"तो तू उठा लेना, साले नौटंकी!" अधिराज हँसते हुए बोला।
"इन दो छोटे बच्चों को साथ में फ्लाई करने की परमिशन देता कौन है?" कण्ट्रोल रूम में खड़े ग्रुप कैप्टन अजीत ग्रोवर बोले तो वहां बैठे सब मुस्कुराते हुए उन्हें देखने लगे। ग्रोवर सर ने घूरा हैं तो सब काम पर लग गए।
अचानक विक्रम को अपने सामने विमान की कण्ट्रोल स्क्रीन पर कुछ ऐसा दिखाई दिया जो किसी भी फाइटर पायलट के लिए खतरे की घंटी होता। उसके इंजन में आग लग चुकी थी!
"ईगल इनकमिंग, कण्ट्रोल रूम, माय इंजन इज़ बर्निंग... आई रिपीट इंजन इज़ बर्निंग" उसने शांत रहते हुए रेडियो मैसेज सेंड किया। इन हालातों में एक फाइटर पायलट की सबसे बड़ी ताकत होती है पैनिक ना करना और विक्रम उसी ताकत के साथ डटा हुआ था। इस वक़्त उसका जहाज़ ज़मीन से दस हज़ार फ़ीट की ऊँचाई पर था।
"ईगल, डिसेन्ड डाउन टू सिक्स थाउजेंड फ़ीट एंड स्टार्ट द प्रोसेस ऑफ़ इजेक्शन"
(नीचे छह हज़ार फ़ीट पर आओ और विमान से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू करो)
विक्रम अपना विमान छह हज़ार फ़ीट तक ले तो आया लेकिन बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाया। उसका विमान नीचे की ओर जा रहा था।
"ईगल, स्टार्ट एजेक्शन यू आर रनिंग आउट ऑफ़ फ्यूल"
"इट्स अ डेन्सली पापुलेटेड एरिया डाउन देयर" विमान के नीचे एक बहुत बड़ी रिहाइश थी। सब के सब घर एक दूसरे से जुड़े हुए।
"यू कांट डिले द इजेक्शन! बाहर निकलो! ओपन योर गॉड डैम पैराशूट!!!" उससे थोड़ी ही दूरी पर उड़ते हुए मिग पर सवार अधिराज रेडियो मैसेज के ज़रिये चिल्लाया लेकिन विक्रम के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था।
उसे दिख रहा था कि उसके पास ज़्यादा ईंधन बचा नहीं था। इस सिचुएशन में उसके पास बचने के लिए बस एक ही विकल्प था - विमान को क्रैश होने के लिए छोड़कर खुद पैराशूट से बाहर निकल जाए लेकिन विमान क्रैश होने की वजह से नीचे गाँव में जान माल का काफी नुकसान हो सकता था और खुद भी बचेगा या नहीं... वो श्योर नहीं था!
आग अब कॉकपिट के अंदर आ चुकी थी। (कॉकपिट - वो जगह जहाँ पायलट बैठता है)
रेडियो से अधिराज और कण्ट्रोल रूम से आवाज़ें आ रहीं थीं....
"इजेक्ट, यू फकिंग इडियट" अधिराज ज़ोर से चिल्लाया।
"ईगल, इजेक्ट राइट नाओ!" कण्ट्रोल रूम से ग्रुप कैप्टन ग्रोवर का आदेश आया।
लेकिन विक्रम ने एक लम्बी सांस ली और बोला - "इट्स नाइस टू बी विद यू गाइज़। विल सी यू ऑन द अदर साइड"
"लैला बेबी, लेट्स गो होम" विक्रम ने अपने सामने विमान की स्क्रीन पर झुकते हुए उसे चूमा।
उस दिन अपने जलते हुए मिग के कॉकपिट में बैठे फ्लाइट लेफ्टिनंट विक्रम सिंह सांगेर ने वो विकल्प चुना था जो विकल्प उसे ज़िन्दगी से दूर ले जाने वाला था और ये वो जानता भी था! उसे भी पता था कि इतने कम ईंधन में वो किसी भी हालत में बेस पर पहुँच नहीं पायेगा लेकिन इस वक़्त उसके लिए सबसे ज़रूरी था उसके जलते हुए विमान के नीचे फैला हुआ वो शहर और वहाँ बसे घर जिनमें से कुछ तो इस क्रैश की वजह से तबाह हो जाते और कुछ उसके इजेक्ट करने पर जद में आ जाते।
अपने जलते हुए कॉकपिट में बैठा विक्रम अपने विमान में खत्म होते ईंधन के बीच अपना मिग जहाज़ उस शहर से दूर लें आया था लेकिन तब तक उसके जहाज़ का ईंधन खत्म हो चुका था और उसका जहाज़ बहुत तेज़ी से नीचे की तरफ जा रहा था।
कुछ ही पलो में वो क्रैश होने वाला था! उसकी आँखों के आगे एक के बाद एक उसकी माँ, पिता, भाई और संयुक्ता का चेहरा आने लगा। मानो आँखो के सामने अब तक की ज़िन्दगी घूम रही हो। उसकी माँ जिनकी हर वीडियो कॉल इसी बात से शुरू होती थी कि क्या वो समय से खाना खा रहा है, उसके पिता जो जताते नहीं थे लेकिन उसके प्रति उनका प्यार और गर्व उसे उनके चेहरे पर हमेशा साफ दिखाई देता, उसका बड़ा भाई जिसकी ज़िन्दगी में उसकी जगह भाई से ज़्यादा एक दोस्त की थी और संयुक्ता उसकी चाइल्डहुड स्वीटहार्ट!
"आई लव यू गाइज़" बोलकर वो मुस्कुराने लगा! इसी के साथ उसका मिग ज़मीन से टकराकर टुकड़े टुकड़े हो गया।
नरियापुर, मध्य भारत का एक सुदूर गाँव
वही दिन, शाम 6 बजे का वक़्त
एक सत्रह साल का लड़का जल्दी जल्दी में गाँव से थोड़ी बाहर की कच्ची पगडंडी पर चलता हुआ गाँव की तरफ आ रहा था।
"नवी, ओ नवी" उसके पीछे से उसी की उम्र के एक लड़के ने उसे देखकर आवाज़ दी लेकिन नवी ने उसकी बात अनसुनी कर दी।वो लड़का फिर उसके पीछे भागता हुआ आया।
"यार नवी, तूने सुना एयरफोर्स वालों का जहाज़ क्रैश हो गया राजस्थान में, कुछ भी ना बचा। पायलट भी मर गया" वो लड़का हाँफ्ता हुआ उसके पास आकर बोला।
"वीरगति को प्राप्त हुआ, ये बोलते हैं महेश" नवी ने आख़िरकार पीछे मुड़कर उसे जवाब दिया। उसकी आँखों में आंसू झिलमिला रहे थे।
"तू रोया है क्या?!"
"नहीं"
"साफ साफ दिख रहा है रोया है तू, झूठ ना बोल"
"यार मेरा एनडीए का पेपर पास नहीं हुआ....!"
"मैंने तो तुझे पहले ही बोला था कि तुझसे नहीं होगा! यार हमारी पढ़ाई लिखाई का स्तर वैसा नहीं है जैसे बड़े स्कूलों के बच्चों का होता है। ये बड़े बड़े अंग्रेजी मीडियम आर्मी स्कूल वाले बच्चे ही इस तरह का पेपर पास कर पाते हैं"
नवीन उसे अजीब तरीके से घूर रहा था। उसका दिल वैसे ही टूटा हुआ था, ऊपर से महेश जले पर नमक की तरह अपनी बातें उस पर घिस रहा था।
"चल ठीक है, मान ले पेपर पास हो भी जाता तो इंटरव्यू कैसे पास करता? वहां तो तड़ातड़ अंग्रेज़ी आनी चाहिए। हमारी बड़की बुआ के बेटे ने भी तो कितनी कोशिश की थी लेकिन हुआ ही नहीं, हर बार इंटरव्यू से बाहर हो जाते थे वो और वो तो शहर के अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में पढ़े लिखे हैं लेकिन फिर भी....."
"नंदा दीदी कहती है भाषा से तय नहीं होता कि हम आर्मी अफसर बन सकते हैं कि नहीं! हम नालायक हैँ बस इसीलिए नहीं हुआ...." नवीन झल्लाता हुआ बोला।
"अरे नंदा दीदी की बात अलग है! वो नरियापुर की पहली लड़की हैं जो शहर जाकर जूनिवर्सिटी में पढ़ेंगी...."
"यूनिवर्सिटी बोलते हैं उसे" बोलकर नवीन वहां से चला गया। वो हताश था।
"अरे रुको तो सही...." महेश उसके पीछे से आवाज़ लगाता रहा लेकिन नवीन नहीं रुका।
वो और तेज़ क़दमों से गाँव की तरफ बढ़ गया। कुछ ही वक़्त में वो अपने घर के बाहर था जो सामान्य घरों जैसा ही था। अंदर जाते ही उसे सामने अपनी माँ बैठी हुई दिखी जो बीच बरामदे में कुछ मसाले कूटने में लगी हुई थी।
"इतनी देर कहाँ लगा दी? दिन ढलने वाला है" उसकी माँ, रानी देवी बोली।
"दीदी कहाँ है?"
"रसोई में लेकिन तू पहले ये तो बता तू था कहाँ पर?"
"बाद में बताता हूँ" बोलकर वो बरामदे से सटी हुई रसोई की तरफ बढ़ गया जहाँ से कुकर की सीटी की आवाज़ आ रही थी और साथ ही किसी लड़की के गुनगुनाने की भी।
वो रसोई के दरवाज़े पर टेक लगाकर खड़ा हो गया। अंदर एक इक्कीस - बाईस साल की लड़की रोटियां बनाने में व्यस्त लग रही थी।
दुबली पतली सी...सांवली सी लड़की।
उसने बाल पीछे जूड़े की शक्ल में बाँध रखे थे और दुपट्टा गले से लगाकर पीछे बाँध रखा था।
"क्या हुआ?" वो बिना पीछे मुड़े ही बोली।
"नंदा दीदी, मेरा पेपर पास नहीं हुआ" उसकी हताशा भरी आवाज़ सुनकर नंदिनी पीछे मुड़ी।
"अच्छा लेकिन इसमें मुंह लटकाने जैसा तो कुछ नहीं। कोशिश तो पूरी की थी ना तुमने। नहीं हुआ तो नहीं हुआ। हमारे हाथ में बस कर्म होता है, फल नहीं" वो उसे देखकर बहुत प्यार से बोली।
"लेकिन मुझे आर्मी में ही जाना है" नवीन की आँखों से आंसू बहने लगे जिन्हे वो रोकने की पूरी कोशिश करने लगा लेकिन उसके सामने जो उसकी बड़ी बहन खड़ी थी उसके आगे अपने जज़्बात रोकना मानो अपनी सांस रोकना!
"तुम आर्मी में ही जाओगे। एक दिन तुम्हारा सपना ज़रूर पूरा होगा" बोलकर नंदिनी ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया।
"आपको कैसे पता?"
"बस पता है मुझे"
कुपवाड़ा आर्मी बेस, जम्मू एवं कश्मीर
वही दिन, रात 9 बजे का समय
एक कमरे में दो आदमी, आर्मी की वर्दी पहने आमने सामने खड़े थे।
"आई हैव सैंक्शन्ड योर लीव। यू कैन गो टू दिल्ली टू बी विद योर फैमिली, दे नीड यू। आज का मिशन तुम्हारी जगह मेजर नारंग लीड करेंगे" कर्नल अरुण शिकरे अपने सामने खड़े आर्मी ऑफिसर को बोले।
वो आर्मी ऑफिसर चेहरे पर बिना किसी भाव के उनके सामने खड़ा था। चेहरे पर रौब था, रंग गहरा सांवला था। उसके कंधे पर भारत का राजचिन्ह दर्शा रहा था कि वो एक मेजर रैंक का ऑफिसर था।
उसके सीने पर लगी नेम्पलेट पर उसका नाम भी था - संग्राम सिंह सांगेर!
"विद ऑल रेस्पेक्ट सर, आई वांट टू लीड द मिशन। मैं और मेरे जवान पिछले एक महीने से इसकी तैयारी कर रहें हैं। अबू हाक़िम यहां कश्मीर में है तो मैं दिल्ली नहीं जा सकता"
"और तुम्हारा परिवार?"
"सर अगर आप मेरे माँ बाप से पूछेंगे कि आर्मी के मोस्ट वांटेड आतंकवादी को पकड़ने का मौका छोड़कर मैं उनके पास आ रहा हूँ तो उनके लिए उनका बेटा कायर ही रहेगा... वो कायर जो अपनी टीम के भाईयों को ज़रूरत के वक़्त छोड़कर चला आया"
"विक्रम को गर्व होता तुम पर"
"ही मेड मी प्राउड टू सर, ही मेड मी प्राउड टू"
"द मिशन इज़ योर्स! जाओ और दिखाओ कि जिस भारत माँ को लहूलुहान करने का सपना वो देख रहें हैं, उस माँ के बेटे अपना सब कुछ दांव पर लगाकर उनके सामने अपनी माँ की रक्षा के लिए खड़े हैं और हमेशा खड़े रहेंगे!"
"जय हिन्द, सर"
"जय हिन्द, मेजर"

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